मुंबई / अकबर खान
मुंबई, पाकिस्तान पेशावर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश काजी फैज ईसा के खिलाफ मुंबई रज़ा एकेडमी का मुंबई मे पाकिस्तानी दुतावास पर आंदोलन का इशारा दिया l बता दे की पूरी दुनिया मे ये एक भड़काऊ मुद्दा है, जहां इस्लाम को अपमानित करने के अप्रमाणित आरोपों से भी हिंसा भड़क सकती है। वही मुंबई मे रज़ा एकेडमी के अध्यक्ष सईद नूरी ने कहा की देश भर मे शुक्रवार की नमाज के बाद शहर भर मे आवाज़ उठाई जाएगी l इस्लाम का बुनियादी अक़ीदा है कि अल्लाह के नबी हज़रत मुहम्मद अल्लाह के आख़री नबी व रसूल हैं. इनके बाद कोई नबी नहीं आ सकता है
अल्लाह पवित्र कुरआने में साफ़ तौर पर कहा गया है l (तर्जमा) मुहम्मद तुम्हारे मर्दों में
किसी के बाप नही. हाँ अल्लाह के रसूल हैं और सब नबीयों के पिछले. और अल्लाह सब कुछ जानता है.
हदीस में सरकार दो आलम इर्शाद हज़रत महोहम्मद फ़रमाते हैं मै अल्लाह का अखरी नबी हूं, मेरे बाद कोई नबी नहीं. वही
क़ादियानियों को शेरियत के तौर पर इस्लाम से बेदखल (ख़ारिज) किया गया और पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट कदियनियों के इस फैसले के खिलाफ २४ जुलाई २०२४ को पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने क़ादियानियों को छूट दी कि वो चार दीवारी में अपनी तबलीग (परचार) कर सकते हैं. जो पाकिस्तानी क़ानून
साफ़ तौर पर ख़िलाफ़ और शरीअते मुस्तफ़ा के सख़्त ख़िलाफ़ है.
रज़ा अकेडमी, ऑल इन्डिया सुन्नी जमइयतुल उलमा, जमइयत उलमाए अहले सुन्नत मुंबई और उलमाए अहलेसुन्नत भारत ने पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट से पुर ज़ोर मुतालबा है कि वो अपने फ़ैसले पर पनर्विचार करे.
क्यूँकि ये फ़ैसला शरीअते मुहम्मदी में मुदाख़िलत है. हिन्दूस्तान समेत दुनिया भर के मुसलमान इस
फ़ैसले से दुखी और सख्त गुस्से में हैं. कोई भी मुसलमान इस फ़ैसले को हर गिज़ बर्दाश्त नहीं कर सकता. साथ
ही हुकूमते पाकिस्तान इस फ़ैसले पर सख्त नोटिस लेते हुए इसे अमान्य घोषित करे और कादियानि के हक़ में फैसला देने वाले जज को बर्खास्त कर के उस के ख़िलाफ़ सख़्त कारवाई करे ताकि दूसरे जज इस तरह फ़ैसला लेने की जुरअत न कर सकें अगर हुकूमते पाकिस्तान अपने ज़ाती फायदे और हित के लिए इस फ़ैसले को रद्द
नहीं करती तो मुंबई रज़ा अकेडमी उलमाए अहले सुन्नत और अवामे अहलेसुन्नत को लेकर पाकिस्तानी हुकूमत के
ख़िलाफ़ सख़्त विरोध करेगी. और भारत में पाकिस्तानी सिफ़ारतखाने का घेराव भी किया जाएगा.