कर्बला की जंग का अंजाम देखिए, बे-घर य़जीद हो गया घर-घर हुसैन हैं

Spread the love

मुंबई / अकबर खान

मुंबई, मोहर्रम की दसवीं तारीख को हक और बातिल सत्य और असत्य के बीच कर्बला के मैदान में हुई जंग यादगार के तौर पर मनाए जाने वाले गम के प्रतीक मोहर्रम को परंपरागत तरीके से मनाएं जाने की तैयारियां अकीदतमंदो ने पूरी कर ली। मोहर्रम की दसवीं के मौके पर बुधवार को देश भर में ताजिया अलम ताबूत और जुलजनाह सहित विभिन्न जुलूस इमाम हुसैन के अनुयायियों की ओर से निकाला जाएगा। जुलूस में शामिल हर किसी के लबों पर एक ही सदा बुलंद रही या हुसैन, या कर्बला वालों, गमगीन और शोकाकुल रहेगा। प्रशासन की ओर से मोहर्रम को शांतिपूर्ण और सकुशल संपन्न कराने के लिए सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं। मुंबई इमाम बड़ा कर्बला और प्रमुख स्थानों पर पुलिस के जवान भारी संख्या में तैनात रहे।

मोहर्रम में अकीदतमंद मरसिया, मजलिस नौहा और मातम करके अपने अपने तरीके से शोक और गम का इजहार करते हैं। इमाम हुसैन की शहादत की याद में यूं तो सभी लोग गमजदा रहते हैं, लेकिन मुंबई का इमाम बड़ा शिया बहुल कस्बा वाले इलाकों का माहौल और भी दिल को दहलाने वाला होता है। घर-घर से मातम और नौहा, मरसिया की सदा के बीच दहाड़े मारकर रोने की आने वाली सदाएं राह चलने वालों की भी आंखें नम कर देती हैं। माहौल कुछ इसी तरह का पहली मोहर्रम से दिखाई दिया l अलम और ताबूत का मातमी जुलूस दिल दहलाने वाला था। जुलूस में शामिल बच्चे, बूढ़े और जवान हर कोई छुरी और कमा के मातम से लहूलुहान दिखाई दे रहा था। उनके माथे पर दर्द की शिकन दिखाई देने के बजाय हर किसी के जुबान से या हुसैन या अली या अब्बास की सदा ही निकल रही थी, जो माहौल को और भी गमगीन बना रही थी। बुधवार को आशूरा दसवीं मोहर्रम की तारीख है परंपरा के अनुसार नौवीं मोहर्रम मंगलवार की रात में इमामबाड़ा और घरो और चौक पर ताजिया बिठाने के बाद दसवीं मोहर्रम को ताजियों को कर्बला पर ले जाकर दफन किया जाता है। इस बीच हर तरफ या हुसैन, या कर्बला वालों की सदाएं बुलंद होगी। इमाम हुसैन की शहादत की याद में अकीदतमंद जुलूस में जंजीर कमा से लहूलुहान होने तक मातम करते है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Call Now Button